Asif Ali Zardari : पाकिस्तान को अपना नया प्रधानमंत्री मिल चुका है. शहबाज शरीफ ने दूसरी बार पीएम पद की शपथ ली. अब, शहबाज शरीफ ने बताया है कि देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा? उन्होंने कहा है कि आसिफ अली जरदारी को पाकिस्तान के अगले राष्ट्रपति के रूप में चुना जाएगा. साथ ही उन्होंने कहा है कि देश की खराब अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए दोनों के बीच मजबूत समन्वय जरूरी होगा.
Asif Ali Zardari : ‘सभी गठबंधन सहयोगी जरदारी के लिए वोट डालेंगे’
स्थानीय समाचार मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सहयोगी दलों के नेताओं के सम्मान में आयोजित रात्रिभोज को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने कहा कि सभी गठबंधन सहयोगी नौ मार्च को राष्ट्रपति चुनाव में जरदारी के लिए वोट डालेंगे. उन्होंने कहा कि गठबंधन सरकार ने हाल के आम चुनावों में दो-तिहाई वोट हासिल किए और यह राष्ट्रपति चुनाव के दौरान दिखाई देगा.
Asif Ali Zardari : जरदारी ने चुनाव के लिए दो नामांकन पत्र जमा किए!
आपको बता दें कि आसिफ अली जरदारी (Asif Ali Zardari) , पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में पश्तूनख्वा मिल्ली अवामी पार्टी (पीकेएमएपी) के प्रमुख महमूद अचकजई – सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल के उम्मीदवार के खिलाफ राष्ट्रपति चुनाव लड़ रहे हैं. कथित तौर पर, जरदारी ने चुनाव के लिए दो नामांकन पत्र जमा किए हैं, एक इस्लामाबाद में और दूसरा कराची में.
Asif Ali Zardari : कौन हैं आसिफ अली जरदारी?
- 26 जुलाई, 1955 को कराची में जन्मे आसिफ अली जरदारी एक ट्राइबल प्रमुख और प्रमुख जमींदार हकीम अली जरदारी के बेटे हैं. जरदारी ने 2008 से 2013 तक पाकिस्तान के 11वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया. वह अगस्त 2018 से पाकिस्तान की राष्ट्रीय असेंबली के सदस्य हैं.
- जरदारी 1987 में पाकिस्तान की दिवंगत दो बार प्रधान मंत्री बेनजीर भुट्टो से शादी के बाद प्रसिद्धि में आए. हालांकि, जब 1990 में तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान ने भुट्टो की सरकार को बर्खास्त कर दिया, तो भ्रष्टाचार में शामिल होने के लिए जरदारी की व्यापक रूप से आलोचना की गई थी.
- 1993 में जब भुट्टो दोबारा प्रधानमंत्री चुने गए, तब जरदारी संघीय निवेश मंत्री और पाकिस्तान पर्यावरण संरक्षण परिषद के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे.
- 1996 में जरदारी को उनकी पत्नी के भाई मुर्तजा की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए गए थे. जरदारी को 2004 में जेल से रिहा कर दिया गया था जब वह दुबई में आत्म-निर्वासन में चले गए थे, हालांकि, 2007 में भुट्टो की हत्या होने पर वह पाकिस्तान लौट आए थे.
- देश लौटने के बाद, ज़रदारी ने 2008 के आम चुनाव में अपनी पीपीपी पार्टी को जीत दिलाई. विशेष रूप से, उन्होंने एक गठबंधन का नेतृत्व किया जिसने सैन्य शासक परवेज़ मुशर्रफ को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया. उसी वर्ष जरदारी को कई आपराधिक आरोपों से भी बरी कर दिया गया.