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ताइवान पर फिर दबाव बना रहा चीन, सबक सिखाने के लिए अमेरिका ने तैनात किये युद्धपोत

नयी दिल्ली : अमेरिका में सत्ता परिवर्तन जरूर हुआ है, लेकिन चीन के साथ टकराव की स्थिति पहले जैसी ही है. जो बाइडेन के सत्ता संभालते ही अमेरिका ने चीन की मनमानियों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है. अब जबकि चीन ताइवान पर अपनी दादागिरी दिखा रहा है तो अमेरिका ने चीन को सबक सिखाने की ठान ली है. दक्षिणी चीन सागर (South China Sea) में अमेरिका ने चीन के खिलाफ अपने युद्धपोत तैयार किये हैं.

नयी दिल्ली : अमेरिका में सत्ता परिवर्तन जरूर हुआ है, लेकिन चीन के साथ टकराव की स्थिति पहले जैसी ही है. जो बाइडेन के सत्ता संभालते ही अमेरिका ने चीन की मनमानियों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है. अब जबकि चीन ताइवान पर अपनी दादागिरी दिखा रहा है तो अमेरिका ने चीन को सबक सिखाने की ठान ली है. दक्षिणी चीन सागर (South China Sea) में अमेरिका ने चीन के खिलाफ अपने युद्धपोत तैयार किये हैं.

इससे पहले चीन ने ताइवान को धमकाने के इरादे से अपने 12 लड़ाकू विमान ताइवान के एयर डिफेंस टेरिटोरी में तैनात कर दिये. इसके जवाब में अमेरिका ने अपन लड़ाकू युद्धपोतों का बेड़ा दक्षिणी चीन सागर में उतार दिया है. अमेरिकी सेना ने रविवार को इस बात की जानकारी दी. सेना ने बताया कि यूएसएस थियोडोर रूजवेल्ट के नेतृत्व में युद्धपोतों का एक बेड़ा साउथ चाइना सागर में उतारा गया है.

चीन की विस्तारवादी सोच का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह ताइवान को अपना हिस्सा बताता है. चीन अक्सर ताइवान की सीमा में घुसने की फिराक में रहता है. इसके साथ ही चीन दक्षिणी चीन सागर के अधिकतर हिस्से को अपना बताता है. शनिवार को भी चीन के कई फाइटर प्लेन ताइवान की सीमा में उड़ते देखे गये. इनमें से कई विमान परमाणु हथियारों के लैस थे.

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अमेरिका ने ताइवान पर चीनी सेना के दबाव को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि इस प्रकार की डराने-धमकाने की रणनीति क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए खतरा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि ताइवान सहित अपने पड़ोसियों को धमकाने के पीआरसी (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना) के प्रयासों को लेकर अमेरिका चिंतित है. एक बयान में उन्होंने बीजिंग से अनुरोध किया कि वह ताइवान पर अपने सैन्य, राजनयिक और आर्थिक दबाव को समाप्त करके लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए ताइवान के प्रतिनिधियों के साथ सार्थक बातचीत करे.

उन्होंने कहा कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में साझा समृद्धि, सुरक्षा और मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए हम मित्रों और सहयोगियों के साथ खड़े हैं. प्राइस ने कहा कि अमेरिका जलडमरूमध्य पार के मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान को समर्थन देना जारी रखेगा. अमेरिका ‘थ्री कम्यूनीक्स’, ‘ताइवान रिलेशन्स एक्ट’ और ‘सिक्स एश्योरेंसेज’ में रेखांकित प्रतिबद्धताओं पर कायम है. हम पर्याप्त आत्म-रक्षा क्षमताओं को बरकरार रखने में ताइवान की मदद करेंगे. ताइवान के प्रति हमारी प्रतिबद्धता दृढ़ है.

Posted By: Amlesh Nandan.

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