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तालिबान के साथ दोस्ताना संबंध चाहता है चीन, ये है उसकी असली मंशा…

ग्लोबल टाइम्स ने ट्‌वीट किया है कि चीन ने अफगानिस्तान की स्थिति पर टिप्पणी की है जिसके अनुसार वे यह कहना चाहते हैं कि वे तालिबान के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध चाहते हैं.

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद चीन की तरफ से एक ऐसा बयान है, जो विश्व की राजनीति के लिए काफी अहम है और जिसका असर आने वाले समय में पूरे विश्व पर होने जा रहा है. चीन की तरफ से यह बयान आया है कि वे तालिबान के साथ दोस्ताना संबंध बनाना चाहते हैं. चीन के इस बयान पर पूरे विश्व की नजर है.

ग्लोबल टाइम्स ने ट्‌वीट किया है कि चीन ने अफगानिस्तान की स्थिति पर टिप्पणी की है जिसके अनुसार वे यह कहना चाहते हैं कि वे तालिबान के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध चाहते हैं. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुवा चुनियांग ने कहा है कि चीन अफगानिस्तान के लोगों का अपने भविष्य के बारे में फैसला करने के अधिकार का सम्मान करता है. हम चीन और अफगानिस्तान के मैत्रीपूर्ण संबंध की कामना करते हैं. चीन ने यह उम्मीद भी जतायी है कि तालिबान अपना वादा निभायेगा और वहां एक समावेशी इस्लामिक सरकार स्थापित करेगा.


चीन ने अपना दूतावास बंद नहीं किया

चीन ने तालिबान के साथ दोस्ताना संबंधों की बात कही और यही वजह है कि चीन ने अपना दूतावास भी बंद नहीं किया है. वहां दूतावास पहले की तरह ही काम कर रहा है. कुछ लोग वहां से वापस लौटे हैं लेकिन कई लोगों ने वहां रहने में कोई परेशानी नहीं जतायी.

अपने वादे से पलटा चीन

कुछ समय पहले चीन ने अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों के साथ यह वादा किया था कि वे अफगानिस्तान में ऐसी किसी सरकार का समर्थन नहीं करेंगे, जो बंदूक के सहारे बनी हो, लेकिन तालिबान के सत्ता में आते ही चीन अपने वादे से पलट गया है.

तालिबान और चीन के संबंध

बीबीसी न्यूज के हवाले से यह खबर आ रही है कि पिछले महीने तालिबान के प्रतिनिधियों ने चीन के विदेश मंत्री से मुलाकात की थी. तालिबान के उस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व मुल्लाह अब्दुल गनी बरादर कर रहे थे. यह मुलाकात बहुत खास थी क्योंकि तालिबान चीन से सहयोग की उम्मीद कर रहा था. वहीं तालिबान ने चीन को यह भरोसा दिया है कि वे अपनी जमीन से चीन के खिलाफ कुछ भी नहीं होने देंगे. साथ ही तालिबान ने चीन को यह भरोसा भी दिया है कि वे चीन विरोधी आतंकवादी संगठन ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट से संबंध तोड़ देगा. यह संगठन चीन में एक स्वतंत्र देश की मांग करता है.

BRI परियोजना के लिए तालिबान को समर्थन दे रहा है चीन

बीआरआई परियोजना के तहत को सड़क, रेल एवं जलमार्गों के माध्यम से यूरोप, अफ्रीका और एशिया से जोड़ना है. बीआरआई के तहत पहला रूट जिसे चीन से शुरू होकर रूस और ईरान होते हुए इराक तक ले जाने की योजना है इसके लिए उन्हें अफगानिस्तान के मदद की जरूरत है और यही वजह है कि चीन अफगानिस्तान में ऐसी सरकार चाहता है जो उसके अनुसार काम करे. चीन से लेकर तुर्की तक सड़क संपर्क कायम करने के साथ ही कई देशों के बंदरगाहों को आपस में जोड़ने का लक्ष्य भी इस योजना में रखा गया है.

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Posted By : Rajneesh Anand

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