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कॉटन और खादी के मास्क कोरोना को रोक पाने में असफल- रिसर्च में दावा

Coronavirus से बचने के लिए आप अगर सर्जिकल या कॉटन Mask के भरोसे हैं तो, सावधान हो जाइये. आपको लगता है कि खादी, कॉटन या सर्जिकल मास्क आपको Coronavirus से बचा लेगा तो यह खबर आपके लिए है. दक्षिण कोरिया विवि के एक शोध में पाया गया है कि कॉटन और सर्जिकल मास्क कोरोना के प्रभाव को नहीं रोक पाता है. गलतफहमी में पड़कर खादी, कॉटन या सर्जिकल मास्क पहनकर बाहर निकलने वाले भी कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं.

सियोल : कोरोनावायरस से बचने के लिए आप अगर सर्जिकल या कॉटन मास्क के भरोसे हैं तो, सावधान हो जाइये. आपको लगता है कि खादी, कॉटन या सर्जिकल मास्क आपको कोरोनावायरस से बचा लेगा तो यह खबर आपके लिए है. दक्षिण कोरिया विवि के एक शोध में पाया गया है कि कॉटन और सर्जिकल मास्क कोरोना के प्रभाव को नहीं रोक पाता है. यह मास्क आपको डस्ट से तो बचा सकता है, लेकिन वायरस ने नहीं. इसलिए गलतफहमी में पड़कर खादी, कॉटन या सर्जिकल मास्क पहनकर अगर आप बाहर निकलने हैं तो आप भी कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं.

दक्षिण कोरिया के सियोल के दो अस्पतालों में आयोजित एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि सर्जिकल-कॉटन मास्क दोनों मरीज की खासी से कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने में अप्रभावी है. शोधकर्ताओं ने पाया कि जब कोरोनावायरस रोगियों ने किसी भी प्रकार का मास्क लगाकर खांसा तो वायरस की बूंदें वातावरण में और मास्क की बाहरी सतह पर पहुंच गयी.

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दक्षिण कोरिया में उल्सान कॉलेज ऑफ मेडिसिन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कोरोनावायरस से संक्रमित चार रोगियों को मास्क के निम्नलिखित अनुक्रम पहनते समय पेट्री डिश पर प्रत्येक में पांच बार खांसी करने का निर्देश दिये. पहले बिना मास्क के फिर सर्जिकल मास्क, उसके बाद कॉटन मास्क और फिर बिना मास्क के.

शोध के बाद जो परिणाम आये वो चौंकाने वाला था. मास्क की सतहों पर निम्न अनुक्रम में स्वैब पाए गए. एक सर्जिकल मास्क की बाहरी सतह पर, एक सर्जिकल मास्क की आंतरिक सतह पर, कॉटन मास्क की बाहरी सतह पर और कॉटन मास्क की आंतरिक सतह पर. शोधकर्ताओं ने सार्स-कोव-2 को सभी सतहों पर पाया.

ये निष्कर्ष बताते हैं कि कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए फेस मास्क पहनने की सिफारिशें प्रभावी नहीं हो सकती हैं. शोधकर्ताओं ने कहा, निष्कर्ष में, सर्जिकल और कॉटन मास्क दोनों ही एसएआरएस कोव-2 के प्रसार को रोकने के लिए अप्रभावी प्रतीत हो रहे हैं. वहीं एक अन्य रिपोर्ट की मानें तो N-95 मास्क 95 फीसदी वायरस रोकता है. जबकि क्लोथ मास्क एक फीसदी भी नहीं रोक पाता है.

गौरतलब है कि एन 95 और सर्जिकल मास्क की कमी के कारण विकल्प के तौर पर इन्फ्लूएंजा वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कॉटन मास्क में लोगों ने रुचि दिखाई है. हालांकि, यह ज्ञात नहीं है कि कोरोनावायरस वाले मरीजों द्वारा पहने गए सर्जिकल या कॉटन मास्क पर्यावरण के प्रदूषण को रोकते हैं या नहीं.

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