नयी दिल्ली : देश-दुनिया इस समय कोरोना संकट से जूझ रहा है. अब तक पूरी दुनिया में कोरोना से 27 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं और लगभग दो लाख के करीब लोगों की जान जा चुकी है. अकेले अमेरिका में 9 लाख लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं और लगभग 50 हजार लोगों की जान चली गयी है. हालांकि लाखों लोग कोरोना से लड़कर बाहर भी आ चुके हैं.
लेकिन इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना को लेकर जो चेतावनी जारी की गयी है वो इस महामारी के खिलाफ जंग में परेशान करने वाली हो सकती है. डब्ल्यूएचओ ने साफ कर दिया है कि कोरोना वायरस से ठीक हो चुके लोगों को दोबारा संक्रमित होने का डर है. ठीक हो चुका व्यक्ति ये न समझे की वो कोरोना के संक्रमण से पूरी तरह से मुक्त हो चुका है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ‘जोखिम मुक्त प्रमाणपत्र’ के विचार के खिलाफ है. वैश्विक स्वास्थ्य संस्था ने यह भी कहा है कि अभी ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि कोविड-19 से संक्रमण मुक्त हो चुके लोग, जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है वे सुरक्षित हैं और दूसरी बार उनके संक्रमित होने की संभावना नहीं है.
डब्ल्यूएचओ ने शनिवार को कहा कि इस बारे में और अधिक शोध की जरूरत है. वैश्विक स्वास्थ्य संस्था ने कहा कि महामारी के दौरान अभी इस प्रमाणपत्र के कारगर होने के बारे में पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि जो लोग ऐसा मान रहे हैं कि दोबारा संक्रमित होने के खिलाफ उनके शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हो गई है, वे जन स्वास्थ्य परामर्श की अनदेखी कर सकते हैं और इस तरह के प्रमाणपत्र वायरस का संक्रमण जारी रहने का खतरा बढ़ा सकता है.
वैश्विक संस्था ने कहा कि एंटीबॉडी की जांच को और अधिक कारगर करने की जरूरत है, ताकि वह सटीक एवं विश्वसनीय हो.