H-1B Visa, Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के आदेश से उन भारतीयों की उम्मीदों को झटका लगा है, जो अमेरिका में नौकरी करने के इच्छुक हैं. ट्रंप ने एच-1बी वीजा को लेकर एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं. इस आदेश के मुताबिक, अमेरिका की फेडरल एजेंसियां अब एच-1बी वीजा पर नियुक्ती नहीं कर सकेंगी.ट्रंप ने सोमवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किया है, जिसमें कहा गया है कि अमेरिकी फेडरल एजेंसियां विदेशी- खासकर एच-1बी वीजा पर अमेरिका आने वाले- कामगारों को कॉन्ट्रैक्ट या सबकॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी पर नहीं रख सकतीं.
चुनावी साल में डोनाल्ड ट्रंप के इस कदम को अमेरिकी श्रमिकों के लिए मददगार माना जा रहा है, लेकिन इससे उन लोगों की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा है, जो एच-1बी वीजा पर अमेरिका में नौकरी के अरमान संजोए हुए थे. एच-1बी वीजा को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है. उन्होंने कहा है कि हमारा सीधा नियम है- अमेरिकन को रखो.
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अमेरिका के श्रम मंत्री ने इस फैसले को लेकर कहा है कि एच-1बी वीजा के नाम पर धोखाधड़ी रोकने और अमेरिकियों के हितों की रक्षा करने के लिए यह कदम उठाया गया है. इससे पहले ट्रंप ने कहा था कि सस्ते विदेशी कामगारों के लिए मेहनती अमेरिकियों को निकाले जाने को उनका प्रशासन बर्दाश्त नहीं करेगा. उन्होंने ये भी कहा कि हम एच-1बी नियमों को अंतिम रूप दे रहे हैं ताकि किसी भी अमेरिकी को न निकाला जा सके.
इससे पहले 23 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बड़ा फैसला लेते हुए एच1-बी और एच-4 वीजा पर 31 दिसंबर 2020 तक के लिए रोक लगाने की घोषणा की थी. इंट्राकंपनी ट्रांसफर के लिए इस्तेमाल होने वाले एल 1 वीजा, डॉक्टर्स और रिसर्चर्स द्वारा यूज किए जाने वाले जे1 वीजा भी निरस्त करने की घोषणा भी की गई थी. भारत के लिए ये झटका इस वजह से ज्यादा बड़ा है, क्योंकि अमेरिकी कंपनियों में काम करने वाले आईटी पेशेवरों में एक बड़ा हिस्सा भारतीयों का है.
भारतीय आईटी पेशेवरों में सबसे अधिक मांग वाला एच-1बी वीजा एक गैर-आप्रवासी वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को विशेष व्यवसायों में रखने की अनुमति देता है, जिन्हें सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है.
Posted By: Utpal kant