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Hezbollah Pagers Blast : हिजबुल्ला के दिमाग को हिलाने के लिए मोसाद ने बनाया खास प्लान, धमाकों के पीछे की कहानी आई सामने

Hezbollah Pagers Blast : हिजबुल्ला को कैसे मिले फटने वाले पेजर? इस सवाल का जवाब सभी जानना चाहते हैं. मोसाद ने कंपनी बनाकर तगड़ी प्लानिंग की थी.

Hezbollah Pagers Blast : लेबनान में पहले पेजर और फिर वॉकी-टॉकी में हुए धमाकों ने पूरी दुनिया को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर गैजेट कैसे बम में बदल सकता है. इन दोनों ही घटनाओं में मिलाकर 30 से अधिक लोगों की जान गई है. अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि आखिर हिजबुल्ला के पास ऐसे पेजर कैसे पहुंचे? हमले को लेकर इजराइल पर शक की सुई घूम गई है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने शेल कंपनी बनाई और हिजबुल्ला को छेड़छाड़ किए गए पेजर भेजे हैं. इन सबके बीच, इजरायल ने फिर एक बार लेबनान में कई जगह पर हमला किया. हिजबुल्ला ने भी जवाबी कार्रवाई की.

न्यूयॉर्क टाइम्स के हवाले से जो बात सामने आ रही है उसके अनुसार, तीन इजरायली खुफिया अधिकारियों की ओर से बताया गया है कि पेजर को बनाने वाले हंगरी की BAC कंसल्टिंग एक शेल कंपनी थी. इसे मोसाद ने लेबनान भेजने से पहले डिवाइस में छेड़छाड़ के लिए तैयार किया था.

आईकॉम ने कहा- डिवाइस का उत्पादन बंद कर दिया था

धमाकों के तुरंत बाद कुछ तस्वीरें सामने आईं, जिनमें इन डिवाइस पर मॉडल नाम के रूप में IC-V82 दिखाया गया, जो जापान के ओसाका में स्थित दूरसंचार उपकरण निर्माता आईकॉम (Icom) द्वारा निर्मित हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, निर्माता ने कहा है कि उसने एक दशक पहले इस डिवाइस का उत्पादन बंद कर दिया था. आईकॉम कंपनी ने बयान जारी करके कहा कि उसने लगभग एक दशक में जापान के वाकायामा में अपने संयंत्र से कोई भी आईसी-वी82 transceivers नहीं भेजा है. कंपनी ने कहा कि उसने 2004 से अक्टूबर 2014 तक मध्य पूर्व सहित विदेशी बाजारों में आईसी-वी82 ट्रांसीवर भेजे थे. आईकॉम ने आगे कहा कि उसके पास IC-V82 मॉडल की कोई इन्वेंट्री नहीं है. उसने लंबे समय से बाजार में नकली उत्पादों की बिक्री को लेकर अलर्ट भी जारी किया था.

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आखिर पेजर में था क्या ?

खबर है कि बैटरी को ताकतवर पैंटेरिथ्रिटोल टेट्रानाइट्रेट (PETN) मिलाकर तैयार किया गया था. बहुत ही शक्तिशाली विस्फोटक की वजह से इसमें धमाके हुए. इससे पहले कहा जा रहा था कि नए पेजर में 3 ग्राम विस्फोटक शामिल था. इसका पता हिजबुल्ला को महीनों तक नहीं चला था. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में कहा गया कि धमाकों में इजराइल की यूनिट 8200 ने खास भूमिका अदा की है. यूनिट ही इस जांच के लिए जिम्मेदार थी कि डिवाइस बनाने के दौरान ही विस्फोटक सामग्री को इसमें कैसा डाला जाए. यूनिट 8200 को साइबर जासूस के नाम से भी पहचाना जाता है जो खुफिया जानकारी जुटाने के लिए डिवाइस तैयार करता है.

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