इस्लामाबाद : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का डर सता रहा है. टीटीपी से डर का आलम यह है कि आतंक की फैक्ट्री चलाने के लिए आर्थिक तंगी की मार झेल रहा पाकिस्तान टीटीपी के डर से अफगान के तालिबानियों से विध्वंसक अमेरिकी हथियार खरीदने जा रहा है.
मीडिया की खबरों के अनुसार, बीते 15 अगस्त को अफगानिस्तान की सत्ता पर पाकिस्तान के समर्थन से तालिबानी आतंकियों ने कब्जा जमा लिया था. अफगान में तालिबानियों के सत्ता हथियाने के बाद से ही पाकिस्तान के सीमाई इलाकों में सीमा पार से आतंकी हमले शुरू हो गए. इन हमलों के बाद पाकिस्तान की इमरान सरकार ने सीमाई प्रदेश वजीरिस्तान में टीटीपी के खिलाफ अभियान शुरू किया हुआ है.
अगस्त में ही खबर यह आई थी अफगानिस्तानी तालिबान पाकिस्तान को अमेरिकी हथियारों की सप्लाई कर रहा है. द न्यूयॉर्क टाइम्स ने पिछले महीने ही खबर दी थी कि अफगानिस्तान में तालिबानियों के कब्जे के समय अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद जब्त हथियार अफगान बंदूक डीलरों द्वारा दुकानों में खुले तौर पर बेचे जा रहे हैं, जिन्होंने सरकारी सैनिकों और तालिबान सदस्यों को बंदूकें और गोला-बारूद के लिए भुगतान किया था.
मीडिया की खबर के अनुसार, एक अमेरिकी प्रशिक्षण और सहायता कार्यक्रम के तहत (जिसमें दो दशकों के युद्ध के दौरान अमेरिकी करदाताओं को 83 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक की लागत आई थी) उपकरण मूल रूप से अफगान सुरक्षा बलों को प्रदान किए गए थे. अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद तालिबान ने बड़ी संख्या में हथियार जमा किये.
अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के अधिकारियों ने पहले ही बताया था कि सैनिकों के जाने से पहले उन्नत हथियारों को निष्क्रिय कर दिया गया था. वहीं, एनवाईटी की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान के लिए तब भी हजारों की संख्या में हथियार उपलब्ध थे. अब पाकिस्तान अफगानी तालिबानियों से उन्हीं हथियारों की खरीद कर रहा है, ताकि आतंक की दुकानदारी चलती रहे.