न्यूयॉर्क : कोरोनावायरस महामारी से धाराशायी पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए इमरान सरकार ने आतंकियों का सहारा लिया है. सरकार ने पाकिस्तान में दर्ज आतंकवादियों की सूची में से हजारों आतंकियों का नाम हटा दिया है. पाकिस्तान ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है, जब विश्व धन शोधनरोधी कार्यबल (FATF) जून में पाकिस्तान के फंडिंग पर विचार करेगी.
एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार एफएटीएफ के आकलन से पहले पाकिस्तान ने चुपचाप अपनी आतंकवादी निगरानी सूची से मुम्बई 2008 आतंकवादी हमले के साजिशकर्ता एवं लश्कर अभियान के कमांडर जकी-उर-लख्वी सहित 1800 आतंकवादियों के नाम हटा दिए हैं.
प्रतिबंधित व्यक्तियों की यह तथाकथित सूची पाकिस्तान के राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधी प्राधिकरण या एनएसीटीए द्वारा बनाई जाती है. इसका उद्देश्य वित्तीय संस्थानों को संदिग्ध आतंकवादियों से लेनदेन करने से रोकना है. लेकिन कोरोनावायरस के कारण पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति खुद खस्तेहाल में है.
न्यूयॉर्क स्थित नियामक प्रौद्योगिकी कम्पनी कास्टेलम डॉट एआई के अनुसार 2018 में इस सूची में 7,600 नाम थे और पिछले 18 महीने में यह घटकर 3,800 रह गए. कास्टेलम द्वारा एकत्रित आंकड़ों के अनुसार मार्च की शुरुआत से करीब 1800 नाम इस सूची से हटाए गए.
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि पाकिस्तान फिलहाल पेरिस स्थित वित्तीय कार्यबल (एफएटीएफ) के साथ मिलकर तय की गयी कार्ययोजना को क्रियान्वित करने का काम कर रहा है, जिसमें लक्षित वित्तीय प्रतिबंधों का प्रभावी कार्यान्वयन शामिल है.
यह संभव है कि ये नाम एफएटीएफ के सुझाव को लागू करने की पाकिस्तान की कार्ययोजना के तहत हटाए गए हों. एफएटीएफ इस दिशा में उठाए पाकिस्तान के कदमों का एक बार फिर जून 2020 में आकलन करेगी.
क्या है एफटीएफ– एफएटीएफ एक अंतर्राज्यीय निकाय है, जो धन शोधन तथा आतंकवादी वित्तीयन का सामना करने के लिए मानक निर्धारित करता है. एफएटीएफ सभी देशों को जोनवाा बांटकर रैंकिंग प्रदान करता है. इसी आधार पर देशों को वित्तीय मदद मिलती है. भारत 2010 में एफएटीएफ का सदस्य बना था.