कर्ज के बोझ के तले डूबे पाकिस्तान को उसकी सेना (Pakistani Army) का साथ मिल गया है. देश पर करीब तीन दशक तक शासन करने के साथ पाकिस्तानी सेना ने आवाम की भूख मिटाने की ठानी है. पाकिस्तानी सेना अब अभिभावक की भूमिका भी निभाएगी. खबर है कि पाकिस्तानी सैनिक देश की कर्जदारी कम करने के लिए अनाज उगाने पर विचार कर रही है. यह अनाज पाकिस्तानी की सरकारी जमीन पर उगाया जाएगा.
पंजाब प्रांत में ली 4 लाख हेक्टेयर जमीन : निक्केई एशिया की खबर के मुताबिक पाकिस्तानी आर्मी ने सरकारी जमीन का बड़ा हिस्सा लिया है, जहां आवाम के लिए अनाज उगाया जाएगा. हालांकि यह आसान नहीं होगा क्योंकि कर्ज का बोझ बहुत बड़ा है. इसके लिए फौज ने जनता के साथ साझेदारी कर खेती करने की युक्ति निकाली है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 4 लाख हेक्टेयर से ज्यादा सरकारी जमीन पर सेना खेती करेगी. यानि दिल्ली से करीब तीन गुना बड़ा क्षेत्र. इस प्लान को अमली-जामा पहनाने वाले अफसर कहते हैं कि अनाज उगाने से पानी की बचत होगी और कमाई भी. यह घटते विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने और जरूरत की चीजों के बढ़ते दाम को कम करने में मदद करेगा.
क्या-क्या उगाएगी सेना : पाकिस्तानी फौज की प्लानिंग 30 साल के अंतराल में गेहूं, कॉटन और गन्ना उगाने की है. साथ ही सब्जियां और फल की खेती भी होगी. फसल बेचकर 20 फीसद मुनाफे को खेती पर रिसर्च में लगाया जाएगा. बाकी रकम सेना और सरकार के बीच आधी-आधी बांटी जाएगी. हालांकि इस प्लान को सरकार के कई नुमाइंदों ने नापसंद किया है.
क्यों हो रही आलोचना : आलोचकों का कहना है कि लीज पर सरकारी जमीन देने से पाकिस्तानी फौज देश में सबसे ज्यादा लैंड की मालकिन बन जाएगी. सेना का काम बाहरी दुश्मनों से बचाना है और जरूरत पड़ने पर सरकार की सहायक बनना है. इससे ज्यादा की उससे उम्मीद नहीं की जा सकती.
सेना के प्लान पर भ्रम : सरकारी दस्तावेजों में पाकिस्तानी फौज ने जो प्लान तैयार किया है, उसमें कई चीजें साफ नहीं हैं. मसलन खेत कब तक खेती लायक बन जाएंगे. जो सरकारी जमीन लीज पर ली जाएगी, वह चोलिस्तान मरुस्थल में पड़ती है. यहां पानी की किल्लत सबसे ज्यादा है. लीज पर ली गई जमीन का करीब 1 लाख हेक्टेयर से ज्यादा हिस्सा मरुस्थल में है. लाहौर हाईकोर्ट ने सरकारी जमीन ट्रांसफर करने के फैसले पर रोक लगा दी थी लेकिन बाद में दूसरी बेंच ने उसे पास कर दिया. यह भी साफ नहीं है कि जो जमीन ट्रांसफर होगी, उस पर फौज का कंट्रोल होगा या छोटे जमीनदारों का.
फौज को नहीं खेती का इल्म: पाकिस्तान के कृषि विशेषज्ञ आसिफ रियाज ताज ने कहा कि सेना के अफसरों को खेती का कोई इल्म नहीं है. उन्हें खेती के पारंपरिक तरीके ही पता होंगे या वे लोकल किसान की मदद लेंगे. देश में हजारों एग्रीकल्चर ग्रेजुएट हैं, जो बेरोजगार हैं. उन्हें मौका दिया जाना चाहिए. पहले खबरें आई थीं, जिसमें कहा गया था कि सेना गरीब किसानों को परेशान करती है.
किसानों को सशक्त करेगी यह स्कीम: एक वकील ने कहा कि पाकिस्तानी सरकार की यह योजना किसानों की मदद करेगी. अगर फौज उनके साथ मिलकर खेती करेगी तो उनकी रोजी-रोटी का जुगाड़ भी हो जाएगा और पाकिस्तानी इकोनॉमी में भी मदद मिलेगी.