रूस-यूक्रेन विवाद : यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर अमेरिकी आशंका के बीच राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन(President Vladimir Putin) ने एक बड़ा कदम उठाया है. उन्होंने यूक्रेन(Ukraine) को दो स्वतंत्र देशों में बांट दिया है. उनके इस फैसले के बाद यूरोपीय यूनियन, नाटो और पश्चिमी दुनिया के तमाम देश रूस (Russia)के खिलाफ खड़े हो गए हैं. इस बीच, आशंका यह भी जाहिर की जा रही है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इस फैसले से केवल यूक्रेन ही नहीं, बल्कि पश्चिमी देश समेत पूरी दुनिया में तनाव बढ़ सकता है.
मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने डोनेत्स्क पीपुल्स रिपब्लिक (डीपीआर) और लुगंस्क पीपुल्स रिपब्लिक (एलपीआर) की मान्यता से संबंधित कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. रूसी राष्ट्रपति ने डीपीआर के प्रमुख डेनिस पुशिलिन और एलपीआर के प्रमुख लियोनिद पासचनिक के साथ संधि पर भी हस्ताक्षर किए हैं. रूस, डीपीआर और एलपीआर के बीच ये संधि मैत्री, सहयोग और पारस्परिक सहायता को लेकर है.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रूस पर शांति वार्ता को भंग करने का आरोप लगाया. मंगलवार की सुबह के शुरुआती घंटों में राष्ट्र के नाम एक संबोधन में किसी भी क्षेत्रीय रियायत को ख़ारिज कर दिया है.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रूस पर शांति वार्ता को बर्बाद करने का आरोप लगाया और मंगलवार की सुबह के शुरुआती घंटों में राष्ट्र के नाम एक संबोधन में किसी भी क्षेत्रीय रियायत को ख़ारिज कर दिया है: रॉयटर्स की रिपोर्ट pic.twitter.com/Z3LHPjQMnq
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 22, 2022
यूक्रेन मामले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठक में मंगलवार को भारत ने अपना पक्ष रखा है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि रूसी संघ के साथ यूक्रेन की सीमा पर बढ़ता तनाव गहरी चिंता का विषय है. इन घटनाक्रमों में क्षेत्र की शांति और सुरक्षा को कमजोर करने की क्षमता है. उन्होंने कहा कि नागरिकों और छात्रों की सुरक्षा आवश्यक है. 20,000 से अधिक भारतीय छात्र और नागरिक यूक्रेन के विभिन्न हिस्सों में रहते और पढ़ते हैं. इसके सीमावर्ती क्षेत्रों में भी भारत के लोग रहते हैं. भारतीयों की भलाई हमारे लिए प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि हम सभी पक्षों के लिए अत्यंत संयम बरतने और राजनयिक प्रयासों को तेज करने के लिए अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर देते हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि जल्द से जल्द एक पारस्परिक रूप से सौहार्दपूर्ण समाधान हो.
The escalation of tension along the border of Ukraine with the Russian Federation is a matter of deep concern. These developments have the potential to undermine peace and security of the region: India's Permanent Rep to United Nations TS Tirumurti, at UNSC meet on Ukraine pic.twitter.com/LzJohFcIDv
— ANI (@ANI) February 22, 2022
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इस फैसले से यूक्रेन पर रूस के हमले की पश्चिम देशों की आशंका के बीच तनाव और बढ़ेगा. राष्ट्रपति की सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद पुतिन ने यह घोषणा की और इसी के साथ मॉस्को समर्थित विद्रोहियों और यूक्रेनी बलों के बीच संघर्ष के लिए रूस के खुलकर बल और हथियार भेजने का रास्ता साफ हो गया है.
उधर, खबर यह भी है कि यूक्रेन के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक खत्म हो गई है. समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, अब यूक्रेन संकट पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में खुली बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें भारत की ओर से भी बयान के जरिए अपना पक्ष रक्षा जाएगा.
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पश्चिमी देशों को इस बात का डर है कि रूस किसी भी समय यूक्रेन पर हमला कर सकता है और वह पूर्वी यूक्रेन में झड़पों को हमला करने के लिए बहाने के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है. इससे पहले, यूक्रेन के अलगाववादी नेताओं ने टेलीविजन पर प्रसारित एक बयान के जरिए रूस के राष्ट्रपति से अनुरोध किया था कि वे अलगाववादी क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता दें और मित्रता संधियों पर हस्ताक्षर करके उनके खिलाफ जारी यूक्रेनी सेना के हमलों से उनकी रक्षा करने के लिए सैन्य सहायता भेजें.
उधर, खबर यह भी है कि रूस अगर यूक्रेन पर हमला नहीं करे तो अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक करने को तैयार हैं. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की मध्यस्थता से यह स्थिति बनी है. अमेरिका ने लगातार आगाह किया है कि रूस कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकता है और साथ ही रूस के ऐसा करने पर उस पर कड़े प्रतिबंध लगाने की चेतावनी भी दी है. उधर, रूस ने यूक्रेन पर हमला करने के अमेरिकी दावों को खारिज किया है.
संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी रूस को चेतावनी दी है. संयुक्त राष्ट्र संघ ने एकतरफा कार्रवाई को लेकर चेतावनी दी है जो यूक्रेन की संप्रभुता को कमजोर कर सकती है. दूसरी तरफ, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने राष्ट्रीय सुरक्षा और डिफेंस काउंसिल की बैठक भी बुलाई है. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने भी इस मसले को लेकर सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई है.
यूक्रेन को दो भागों में बांटने के बाद यूरोपीय यूनियन (ईयू) ने यूक्रेन के अलगाववादी क्षेत्रों को मान्यता देने के रूस के कदम को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करार दिया है. उसने रूस को चेतावनी देते हुए कहा है कि वह इसमें शामिल लोगों पर प्रतिबंध लगाएगा. इसने यूक्रेन की स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपना समर्थन दोहराया.
इसके साथ ही, यूरोपीय यूनियन के बाद नाटो और ब्रिटेन ने भी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कदम की निंदा की है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा यूक्रेन को दो स्वतंत्र देशों में बांटने के बाद ब्रिटेन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि वह रूस पर प्रतिबंध लगा सकता है.
यूक्रेन को दो स्वतंत्र देशों में बांटने के बाद राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि आधुनिक यूक्रेन का निर्माण पूरी तरह से रूस ने किया था. ये प्रक्रिया 1917 की क्रांति के तुरंत बाद शुरू हुई थी. बोल्शेविक की नीति के कारण सोवियत यूक्रेन का उदय हुआ, जिसे आज भी ‘व्लादिमीर इलिच लेनिन का यूक्रेन’ कहा जाता है. वह इसके वास्तुकार हैं, जिसकी पुष्टि दस्तावेज भी करते हैं. व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि अब यूक्रेन में लेनिन के स्मारकों को ध्वस्त कर दिया गया. इसे वे डीकम्युनाइजेशन कहते हैं. क्या आप डीकम्युनाइजेशन चाहते हैं? यह अनावश्यक है. हम यूक्रेन को ये दिखाने के लिए तैयार हैं कि वास्तविक डीकम्युनाइजेशन का क्या मतलब होता है.
व्लादिमीर पुतिन ने अपने संबोधन में कहा कि अगर यूक्रेन को सामूहिक विनाश के हथियार मिल जाते हैं, तो वैश्विक स्थिति में बड़ा बदलाव होगा. हाल के महीनों में यूक्रेन पश्चिमी हथियारों से भर गया है. नाटो के प्रशिक्षक यूक्रेन में सैन्य अभ्यास के दौरान लगातार मौजूद थे. उन्होंने अमेरिका और नाटो पर यूक्रेन को युद्ध के रंगमंच में बदलने का आरोप लगाया और कहा कि यूक्रेन, एक कठपुतली शासन वाला अमेरिकी उपनिवेश है. उन्होंने यहां तक कहा कि यूक्रेन नाटो देशों के सैनिकों के लिए ट्रेनिंग सेंटर बना हुआ है.
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इस बीच, यूक्रेन संकट पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को फ्रांस के रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ले से मुलाकात की है. इस मुलाकात के दौरान उन्होंने फ्लोरेंस के साथ समसामयिक घटनाओं पर चर्चा की. दोनों नेताओं ने नई एवं उभरती सुरक्षा चुनौतियों पर सहयोग करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की. इससे पहले जयशंकर ने रविवार को फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां-यवेस ले द्रायां के साथ द्विपक्षीय सहयोग, हिंद-प्रशांत क्षेत्र, अफगानिस्तान में स्थिति, ईरानी परमाणु समझौता और यूक्रेन संकट सहित क्षेत्रीय एवं वैश्विक महत्व के कई मुद्दों पर सार्थक बातचीत की.