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राहुल की खातिर सोनिया ने मनमोहन सिंह को बनाया था प्रधानमंत्री, ओबामा ने अपनी किताब में लिखा

वाशिंगटन : अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा (Barack Obama) ने अपनी किताब में लिखा कि सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की खातिर मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) को प्रधानमंत्री बनाया था. उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर मनमोहन सिंह की तारिफ की है. अपनी किताब 'ए प्रॉमिस्ड लैंड' में ओबामा ने लिखा, ‘मैं यह नहीं बता सकता कि सत्ता के शिखर तक सिंह का पहुंचना भारतीय लोकतंत्र के भविष्य का प्रतीक है या ये केवल संयोग मात्र है.' दरअसल सोनिया गांधी ने अपने बेटे राहुल गांधी को आसानी से सत्ता तक पहुंचाने के लिए इस सज्जन सिख को प्रधानमंत्री बनाया था.

वाशिंगटन : अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा (Barack Obama) ने अपनी किताब में लिखा कि सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की खातिर मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) को प्रधानमंत्री बनाया था. उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर मनमोहन सिंह की तारिफ की है. अपनी किताब ‘ए प्रॉमिस्ड लैंड’ में ओबामा ने लिखा, ‘मैं यह नहीं बता सकता कि सत्ता के शिखर तक सिंह का पहुंचना भारतीय लोकतंत्र के भविष्य का प्रतीक है या ये केवल संयोग मात्र है.’ दरअसल सोनिया गांधी ने अपने बेटे राहुल गांधी को आसानी से सत्ता तक पहुंचाने के लिए इस सज्जन सिख को प्रधानमंत्री बनाया था.

ओबामा लिखते हैं कि प्रधानमंत्री पद पर मनमोहन सिंह के पहुंचने को कई बार जातीय विभाजन पर भारत की जीत के प्रतीक के रूप में देखा जाता है लेकिन कहीं न कहीं यह धोखा देने वाली बात है. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने के पीछे भी एक अनोखी कहानी है और सभी को पता है कि वह पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं थे. ओबामा ने कहा, ‘बल्कि यह पद उन्हें सोनिया गांधी (जिनका जन्म इटली में हुआ था और जो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की विधवा एवं कांग्रेस पार्टी की प्रमुख हैं) ने दिया था.

ओबामा ने आगे लिखा, कई राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि उन्होंने बुजुर्ग सिख सज्जन को इसलिए चुना क्योंकि उनका कोई राष्ट्रीय राजनीतिक आधार नहीं था और वह उनके 47 वर्षीय बेटे राहुल के लिए कोई खतरा नहीं थे, जिन्हें वह पार्टी की बागडोर देने के लिए तैयार कर रही थीं.’ रात्रिभोज के समय सोनिया और राहुल गांधी से हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए ओबामा लिखते हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष बोलने से अधिक सुन रहीं थीं और जहां नीतिगत मामलों की बात आती तो सावधानी से बातचीत का रूख सिंह की ओर मोड़ देतीं, और कई बार बातचीत को अपने बेटे की ओर भी मोड़ा.

सोनिया चतुर हैं, जबकि राहुल ईमानदार दिखे : ओबामा

ओबामा ने कहा, ‘हालांकि, मुझे यह स्पष्ट हो गया कि सोनिया इसलिए इतनी ताकतवर हैं क्योंकि वह चतुर और कुशाग्र बुद्धि की हैं. जहां तक राहुल की बात है वह स्मार्ट और ईमानदार दिखे, सुंदर नैन नक्श के मामले में वह अपनी मां पर गये हैं. उन्होंने प्रगतिवादी राजनीति पर अपने विचार साझा किए, बीच-बीच में उन्होंने मेरे 2008 के अभियान के बारे में बातचीत की.’ ओबामा ने कहा, ‘लेकिन उनमें एक घबराहट और अनगढ़ता थी. जैसे कि वह कोई ऐसे छात्र हैं जिसने अपने कोर्स का काम पूरा कर लिया है और शिक्षक को प्रभावित करने को उत्सुक है लेकिन भीतर में कहीं उसमें विषय में महारत हासिल करने की या तो योग्यता या फिर जुनून की कमी है.’

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अर्थव्यवस्था में परिवर्तन के मुख्य शिल्पकार थे मनमोहन सिंह

ओबामा ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन के मुख्य शिल्पकार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे और वह इस प्रगति गाथा के सही प्रतीक हैं: वह एक छोटे से, अक्सर सताये गये धार्मिक अल्पसंख्यक सिख समुदाय के सदस्य हैं जो देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचे. एक विनम्र ‘टेक्नोक्रेट’ जिन्होंने जीवन जीने के उच्च मानकों को पेश किया और भ्रष्टाचार मुक्त छवि से प्रतिष्ठा अर्जित करते हुए जनता का भरोसा जीता. राष्ट्रपति पद पर रहने के दौरान ओबामा 2010 और 2015 में दो बार भारत आए थे.

नवंबर 2010 के अपने भारत दौरे को याद करते हुए ओबामा ने कहा कि उनके और मनमोहन सिंह के बीच एक गर्मजोशी भरा सकारात्मक बंधन बना था. ओबामा लिखते हैं, ‘वह विदेश नीति को लेकर सावधानी से आगे बढ़ रहे थे, भारतीय नौकरशाही को अनदेखा कर वह इस मामले में बहुत अधिक आगे बढ़ने के इच्छुक नहीं थे क्योंकि भारतीय नौकरशाही ऐतिहासिक रूप से अमेरिकी मंशा को लेकर सशंकित रही थी.

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हमने जितना समय साथ बिताया, उससे उनके बारे में मेरे शुरूआती विचारों की ही पुष्टि हुई कि वह एक असाधारण बुद्धिमत्ता वाले एवं गरिमापूर्ण व्यक्ति हैं, और नयी दिल्ली की अपनी यात्रा के दौरान हमने आतंकवाद से मुकाबले, वैश्विक स्वास्थ्य, परमाणु सुरक्षा और कारोबार के क्षेत्रों में अमेरिकी सहयोग को मजबूत करने संबंधी समझौते किये.’

तमाम परेशानियों के बावजूद कई मायनों में सफल रहा है भारत

अपनी किताब में ओबामा ने आगे लिखा है, ‘कई मायनों में आधुनिक भारत को एक सफल गाथा माना जा सकता है जिसने बार-बार बदलती सरकारों के झटकों को झेला, राजनीतिक दलों के बीच कटु मतभेदों, विभिन्न सशस्त्र अलगाववादी आंदोलनों और भ्रष्टाचार के घोटालों का सामना किया.’ उन्होंने कहा है कि 1990 के दशक में भारत की अर्थव्यवस्था और अधिक बाजार आधारित हुई, जिससे भारतीयों का असाधारण उद्यमिता कौशल सामने आया और इससे विकास दर बढ़ी, तकनीकी क्षेत्र फला-फूला और मध्यमवर्ग का तेजी से विस्तार हुआ.

भाषा इनपुट के साथ

Posted By: Amlesh Nandan.

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