अमेरिका और चीन के बीच पिछले कई दिनों से चल रहे जासूसी गुब्बारे विवाद को लेकर तकरार और बढ़ गयी है, इस मुद्दे पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिका को गंभीर अंजाम भुगतने की धमकी दी है. आपको बताएं की अमेरिकी सेना ने अटलांटिक महासागर में एक दिन पहले चीन के सर्विलांस बैलून को अपने एफ-22 फाइटर जेट से मिसाइल मारकर गिरा दिया था, जिसके बाद से चीन बौखलाया हुआ है.
बौखलाए चीन ने अमेरिका को दी धमकी
अमेरिकी फाइटर जेट F-22 रैप्टर ने एक मिसाइल दागकर चीन के एक संदिग्ध जासूसी गुब्बारे को नीचे गिरा दिया था, लेकिन विवाद अभी तक जारी है, अमेरिकी नौसेना वर्तमान में चीन के जासूसी बैलून को खोजने के लिए अभियान चाला रही है, लेकिन चीन ने कहा है, कि अमेरिका के गुब्बारे को मार गिराए जाने से वाशिंगटन के साथ संबंध “गंभीर रूप से प्रभावित और क्षतिग्रस्त” हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, बैलून का मलबा मिलने के बाद पता चल सकता है, कि चीन ने जिस बैलून को अमेरिका के आसमान में भेजा था, उसकी क्षमता कितनी थी, हालांकि कई एक्सपर्ट्स का कहना है, कि पेंटागन ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर गुब्बारे के प्रभाव को कम करके आंका है.
क्या खासियत है ‘जासूसी गुब्बारे’ की
विशेषज्ञों का कहना है कि सर्विलांस बैलून या जासूसी गुब्बारों का जासूसी में एक लंबा इतिहास रहा है. सैटेलाइट के जमाने में भी इन गुब्बारों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके जरिए क्लोज-रेंज यानी पास की निगरानी की जाती है. ये गुब्बारे बेहद हल्के होते हैं और इनमें हीलियम गैस भरी जाती है. इन गुब्बारों में जासूसी के लिए इसमें एडवांस कैमरे लगाए जाते हैं. इन्हें जमीन से लॉन्च करते हैं. इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये किसी क्षेत्र का लंबे समय तक अध्ययन कर सकता है. जमीन से इनकी निगरानी करना बेहद मुश्किल होता है. ये जमीन से काफी ऊंचाई पर उड़ सकते हैं इसलिए इनका इस्तेमाल मौसम से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए किया जाता है. उन्होंने कहा कि जासूसी के मामले में ये गुब्बारे सैटेलाइट्स से भी ज्यादा बेहतर साबित होते हैं. क्योंकि ये सैटेलाइट के मुकाबले ज्यादा आसानी से और ज्यादा देर तक किसी इलाके को स्कैन कर सकते हैं.