Sri Lanka Crisis: श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. श्रीलंका में संकट कई वर्षों से पनप रहा है. इस समय श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक स्थिति का सामना कर रहा है. देश में महंगाई के कारण बुनियादी चीजों की कीमतें आसमान छू रही हैं. साथ ही बेरोजगारी चरम पर है. फिलहाल श्रीलंका की जनता में भारी आक्रोश व्याप्त है, जनता सड़कों पर उग्र प्रदर्शन कर रही है. आप श्रीलंका में हो रहे विरोध प्रदर्शन की तस्वीरों को देख रहें होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं इस स्थिति की वजह क्या है?
विदेशी कर्ज
श्रीलंका में संकट का सबसे बड़ा कारण है विदेशों से कर्ज. श्रीलंका ने चीन जैसे देशों से बड़ी रकम कर्ज के रूप में ली है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गैर जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रजेक्ट के लिए श्रीलंका में कर्ज का बोझ ज्यादा बढ़ गया है. बता दें कि श्रीलंका पर अभी 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है और यह देश के लिए गले की फांस बन गई है.
वहीं, देश में विदेशी मुद्रा भंडार में भी काफी कमी देखने को मिली है. रिपोर्ट के अनुसार मार्च में श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार 16.1 फीसदी घटकर 1.93 अरब डॉलर रह गया. और ऋण भुगतान में भारी गिरावट आई है.
वहीं, देश में विदेशी मुद्रा भंडार में भी काफी कमी देखने को मिली है. रिपोर्ट के अनुसार मार्च में श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार 16.1 फीसदी घटकर 1.93 अरब डॉलर रह गया. और ऋण भुगतान में भारी गिरावट आई है.
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आलोचकों की मानें, तो इस हालात के पीछे कोविड-19 जिम्मेदार है. देश का पर्यटन क्षेत्र महामारी के कारण काफी प्रभावित हुई थी, जिसका श्रीलंका के अर्थव्यवस्था में अहम योगदान है. श्रीलंका में पर्यटन को लेकर भारी संख्या विदेशी पहुंचते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के कारण यह काफी प्रभावित हुआ औैर विदेशी मुद्रा में भारी कमी आई. विश्व बैंक के अनुसार, साल 2018 में श्रीलंका ने पर्यटन से 4.4 बिलियन डॉलर कमाए और जीडीपी में 5.6% का योगदान दिया, लेकिन यह 2020 में घटकर केवल 0.8% रह गया था.
विदेशी कर्ज और कोरोना महामारी के अलावा सरकार की गलत नीतियां भी जिम्मेदार हैं. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व में श्रीलंका सरकार ने कर में बड़ी कटौती की जिससे सरकारी राजस्व और राजकोषीय नीतियां प्रभावित हुईं, जिससे बजट घाटा बढ़ गया. आलोचकों सरकार के इस फैसले को काफी गलत मानते हैं, साथ ही संकट के लिए सरकरा के इस फैसले को जिम्मेदार ठहराते हैं.
कर कटौती के अलावा सरकार ने कई चीजों के आयात पर पाबंदी लगा दी थी. इनमें रासायनिक खाद्य प्रमुख है, जिससे फसलों पर काफी असर पड़ा. वहीं, श्रीलंकाई जनता को खाने पीने की सामानों को विदेशों से मंगावानी पड़ी, जो देश में महंगाई की सबसे बड़ी कारण बनी.