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अफगानिस्तान में कल जुमे की नमाज के बाद सरकार बनायेगा तालिबान, इन 5 लोगों के हाथों में होगी सत्ता की कमान

तालिबान ने यह स्पष्ट कर दिया था कि अफगानिस्तान में तालिबान के शासन में शरिया कानून के अनुसार देश चलेगा लोकतंत्र की कोई गुंजाइश नहीं है.

अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद कल यानी 3 सितंबर को तालिबान अपनी सरकार का गठन करेगा. आजतक के अनुसार कल जुमे की नमाज के बाद तालिबान अपनी सरकार का गठन कर सकता है.

15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान ने यह घोषणा की थी कि उसके शासनकाल में सभी के अधिकारों की रक्षा होगी. तालिबान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया था उसके शासन में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा होगी और वहां शरिया कानून के अनुसार शासन चलेगा

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अफगानिस्तान में लोकतंत्र नहीं, शरिया कानून चलेगा

तालिबान ने यह स्पष्ट कर दिया था कि अफगानिस्तान में तालिबान के शासन में शरिया कानून के अनुसार देश चलेगा लोकतंत्र की कोई गुंजाइश नहीं है. तालिबान ने देश के संचालन के लिए एक कौंसिल का गठन करने का विचार किया है, जिसका सर्वेसर्वा हिबतुल्लाह अखुंदजादा होगा.

ये पांच लोग होंगे सत्ता के कमांडर

तालिबान की सत्ता जिन पांच लोगों के हाथों में होगी वे लोग तालिबान के नीति निर्धारक हैं और इन्होंने तालिबान को इस मुकाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है. पहला नाम है हिब्तुल्लाह अखुदजादा. हिब्तुल्लाह अखुदजादा एक धार्मिक नेता हैं और वे इस्लाम के जानकार माने जाते हैं. कहा जाता है कि तालिबान को आज के स्वरूप में इन्होंने ही तैयार किया है. मुल्ला अब्दुल गनी बरादर तालिबान के पहले शासनकाल में भी शामिल था. उसके बारे में यह कहा जा रहा है कि उसे अफगानिस्तान का राष्ट्रपति बनाया जा सकता है.

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तीसरा नाम मोहम्मद याक़ूब का है जो तालिबान के संस्थापक मुल्ला मोहम्मद उमर के बेटे हैं. याकूब की उम्र मात्र 30 साल है वो अभी तालिबान के सैन्य अभियान का प्रमुख है. सिराजुद्दीन हक्कानी का नाम इस लिस्ट में चौथे नंबर पर है. वह तालिबान के शीर्ष नेताओं में से एक है . पिता जलालुद्दीन हक्कानी की मौत के बाद वो हक्कानी नेटवर्क का नेता बन गया. पांचवां नाम अब्दुल हकीम का है. उसकी उम्र लगभग 60 साल है और वह पाकिस्तान में रहकर मदरसा चलाता है.

भारत ने तालिबान के साथ अधिकारिक बात की

भारत के राजदूत दीपक मित्तल ने कतर में तालिबानी नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई से मुलाकात की है. इस मुलाकात में मुख्य रूप से अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी पर बात हुई और साथ ही भारत ने यह मुद्दा भी उठाया कि अफगानिस्तान की धरती का उपयोग भारत विरोधी कार्यों में नहीं किया जायेगा. तालिबानी नेता ने भारतीय राजदूत को आश्वस्त किया है कि वे अफगानिस्तानी धरती का दुरुपयोग नहीं होने देंगे.

कश्मीर पर क्या होगा तालिबान का रुख

आतंकी संगठन अलकायदा ने जब से वैश्विक इस्लामिक जिहाद की बात कही है और यह कहा है कि कश्मीर को इस्लाम के दुश्मनों से छुड़ाया जायेगा, तब से भारत की चिंता बढ़ गयी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार रात को गृहमंत्री अमित शाह के साथ बैठक की थी. हालांकि तालिबान ने अबतक कश्मीर पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन सरकार गठन के बाद उनका रुख कैसा होगा, यह देखने वाली बात होगी.

Posted By : Rajneesh Anand

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