18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

UK election 2024: केरल के किसान का बेटा बना ब्रिटेन का सांसद, जानिए कौन हैं सोजन जोसेफ?

सोजन जोसेफ केरल के कोट्टायम से ताल्लुक रखते हैं. जोसेफ 2001 से ही ब्रिटेन में बस गए हैं. वह केंट में एक मानसिक स्वास्थ्य नर्स हैं. उनकी पत्नी ब्राइटी भी एक नर्स हैं और दंपती के तीन बच्चे हैं.

UK election 2024: 49 वर्षीय सोजन जोसेफ जो लेबर पार्टी के नेता हैं उन्होंने ब्रिटेन में एशफोर्ड सीट पर कंजर्वेटिव पार्टी के दिग्गज राजनेता डेमियन ग्रीन को हराकर 15,262 वोटों के साथ जीत हासिल की है. कंजर्वेटिव पार्टी के दिग्गज राजनेता डेमियन ग्रीन 13,483 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. एशफोर्ड सीट से जोसेफ की जीत ऐतिहासिक है क्योंकि यह पहली बार है जब 139 साल के इतिहास में इस सीट से कोई लेबर उम्मीदवार जीता है. अब तक, एशफोर्ड कंजर्वेटिव पार्टी का गढ़ था.

केंट से ऑनलाइन किया लोगों को संबोधित

जोसेफ ने सीट जीतने के लिए पांच उम्मीदवारों को हराया, जिसमें लगभग 74,000 लोग हैं. शुक्रवार को अपनी जीत के बाद उन्होंने केंट से कहा “आज रात एक ऐतिहासिक क्षण है. शहर के केंद्र और सड़कों को बेहतर बनाना और छोटे व्यवसायों की मदद करने के साथ मैं एशफोर्ड के लिए अन्य कई योजना बना रहा हूं.”

जोसेफ के पिता ने व्यक्त की जोसेफ की जीत पर खुशी

केरल के कोट्टायम के कैपुझा से ताल्लुक रखने वाले जोसेफ 2001 से ही ब्रिटेन में बस गए हैं. वह केंट में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) के लिए काम करने वाले एक मानसिक स्वास्थ्य नर्स हैं. उनकी पत्नी ब्राइटी भी एक नर्स हैं और दंपती के तीन बच्चे हैं. नव-निर्वाचित एशफोर्ड सांसद जोसेफ चामक्कलायिल और दिवंगत एलिकुट्टी के सबसे छोटे बेटे हैं. इनके छह अन्य भाई-बहन हैं. जोसेफ के 86 वर्षीय पिता केरल में एक किसान हैं. उन्होंने अपने बेटे की उपलब्धि पर खुशी व्यक्त की है और कहा है – “मैं आपको बता नहीं सकता कि हम सभी कितने खुश हैं. हम पूरी रात सोए नहीं थे और नतीजों का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. इतने बड़े चुनाव में उनकी जीत हम सभी को बहुत गौरवान्वित करती है.”

जोसेफ का समाजवाद के प्रति था झुकाव

जोसेफ के पिता ने बताया कि जोसेफ बड़े होने के दौरान राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं थे. लेकिन उनमें समाजवादी झुकाव था जिसने संभवतः उन्हें यूके में लेबर पार्टी की ओर आकर्षित किया. वे वहां राजनीतिक रूप से बहुत ही सक्रिय हो गए. मैराथन में भाग लेने लगे और सामाजिक कार्यों के लिए धन जुटाने के लिए नाव दौड़ में भाग लेने लगे. यह उनके लिए वास्तव में एक कठिन मुकाबला था. उनके परिवार के सदस्यों ने मीडिया को बताया कि वे अक्सर केरल में अपने गांव जाते हैं और आखिरी बार मार्च में वहां गए थे.

जोसेफ ने कोट्टायम में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. बेंगलुरु के अंबेडकर मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग (मनोचिकित्सा) की पढ़ाई करने के बाद, उन्होंने एक साल तक देहरादून के एक अस्पताल में काम किया. वह नवंबर 2001 में यूके चले गए और एशफोर्ड में विलियम हार्वे अस्पताल में शामिल हो गए. जोसेफ वहां भारतीय प्रवासियों के बीच एक प्रसिद्ध व्यक्ति बन गए और 2015 के आसपास लेबर पार्टी में शामिल हो गए.

पिछली हार से ली सबक

जोसेफ ने 2021 में एक स्थानीय परिषद चुनाव लड़ा, लेकिन असफल रहे. पिछले साल उन्हें आयल्सफोर्ड और ईस्ट स्टॉर वार्ड के लिए लेबर काउंसलर चुना गया था. अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, जोसेफ BAME के ​​लिए एक निर्वाचित अधिकारी भी हैं, जो ब्लैक एशियन अल्पसंख्यक जातीय समुदायों का प्रतिनिधित्व करते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें