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सत्ता में आते ही तालिबान ने साफ कर दिया अपना रुख, महिलाओं को सता रहा है इस बात का डर, जानिए क्या हैं हालात

रविवार को जब तातिबान के लड़ाके अपनी जीत का जश्न मना रहा था तो अफगानिस्तान के घरों पर खौफ पसर रहा था. खौफ तालिबान का था. उनके बेइंतहां जुल्मों का था. जुल्म और खौफ की तस्वीर अफगानिस्तान की हर महिला की आंखों में साफ दिख रहा है.

महिलाओं के प्रति तालिबान का रुख क्या होगा इसका आगाज अफगानिस्तान पर कब्जे के साथ ही तालिबान ने कर दिया है. रविवार को जैसे ही तालिबान ने सफलतापूर्वक अफगानिस्तान पर अपना नियंत्रण किया. उसने दीवारों पर लगी महिलाओं की तस्वीरों को ढंकना शुरू कर दिया. इस कड़ी में ट्विटर पर एक तस्वीर आई है जिसमें एक व्यक्ति काबुल में एक दीवार पर चित्रित महिलाओं की तस्वीरों को कवर कर रहा है.

बता दें, तालिबान लड़ाकों ने अफगानिस्तान की राजधानी में घुसने क साथ ही काबुल में शादी के कपड़े पहनने वाली महिलाओं के कई विज्ञापनों को सपेद पेंट से ढंक दिया. गौरतलब है कि, लड़ाई के दौरान तालिबान ने कहा था कि, वो महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करेगा, उन्हें सिर्फ सार्वजनिक जगहों पर हिजाब पहनना होगा. लेकिन कब्जे के साथ ही तालिबान का महिलाओं को लिए क्या इरादा है वो साफ हो गया है.

वहीं, ट्वीटर पर इस फोटों को देखकर कई लोगों का कहना है कि एक बार फिर अफगानिस्तान में तालिबान का अंधकार कायम होने लगा है. महिलाओं को डर है कि अब एक बार फिर उन्हें वहीं जुल्म का सामना करना पडेगा जो तालिबान ने अपने पिछले राज में दिया था. इस कड़ी में, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश से लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेश ने महिलाओं की स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की है

तालिबान के जुल्म से भाग रहे हैं लोग: यूएनएचआरसी की ताजा रिपोर्ट की मानें, तो 2020 में वैश्विक स्तर पर अफगान शरणार्थियों की कुल संख्या 2.6 मिलियन (26 लाख) पहुंच गयी थी. पंजीकृत शरणार्थियों में से लगभग 86 प्रतिशत ने तीन पड़ोसी देशों में शरण ली है, जबकि 12 प्रतिशत यूरोपीय देशों में रह रहे हैं.

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अफगानिस्तान में तेजी से बिगड़ते हालात को देखते हुए जर्मनी, नीदरलैंड, फ्रांस, फिनलैंड, स्वीडन और नॉर्वे समेत सात यूरोपीय देशों ने हाल ही में घोषणा की है कि वे शरण चाहनेवाले अफगानों को निर्वासित करने के किसी भी प्रयास पर अस्थायी रोक लगायेंगे.

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Posted by: Pritish Sahay

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