विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बुधवार को कहा कि ड्रग हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के क्लिनिकल परीक्षण फिर से शुरू करने को कहा है. डेटा सुरक्षा निगरानी बोर्ड ने फैसला किया कि दवा पर उपलब्ध आंकड़ों की समीक्षा के बाद अंतरराष्ट्रीय परीक्षण को बंद करने का कोई कारण नहीं है, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेबियस ने एजेंसी के जिनेवा मुख्यालय में बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान इस बारे में कहा.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना मरीजों में हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन के इस्तेमाल के बारे में जारी क्लिनिकल ट्रायल को पिछले दिनों अस्थायी तौर पर बंद कर दिया था. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस दवा के इस्तेमाल को लगातार प्रोत्साहित करते रहे हैं. उन्होंने खुलासा किया था कि वो खुद कोविड-19 से बचने के लिए हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन का सेवन कर रहे हैं.
डब्ल्यूएचओ निदेशक डॉ. टेड्रॉस एडहॉनम गीब्रियेसुस ने सोमवार को कहा कि इस दवा के सुरक्षित इस्तेमाल के बार में डेटा सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड अध्ययन करेगा. साथ ही इस दवा से जुड़े दुनिया भर में हो रहे प्रयोगों का व्यापक विश्लेषण भी किया जाएगा. टेड्रॉस ने कहा कि आम तौर पर हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन और क्लोरोक्विन का इस्तेमाल मलेरिया के रोगियों और लुपस जैसे ऑटोइम्यून बीमारी के मामलों में किया जाता है. लेकिन कोरोना के मरीजों में इस दवा के सुरक्षित स्तेमाल को लेकर चिंता जताई जा रही है.
आईसीएमआर ने साफ कर दिया था कि कोविड-19 के इलाज में इसका इस्तेमाल जारी रहेगा. प्रेस कॉन्फ्रेंस में आईसीएमआर ने कहा, भारत में हुए अध्ययनों में हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन के कोई अहम दुष्प्रभाव सामने नहीं आए हैं. कोविड-19 के इलाज में इसका इस्तेमाल जारी रहना चाहिए. हालांकि इसको लेकर एक सलाह दी गयी कि एचसीक्यू को खाने के साथ लिया जाना चाहिए, खाली पेट नहीं. इलाज के दौरान एक ईसीजी किया जाना चाहिए.
क्यों लगा था ट्रायल पर रोक
एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया था कि द लैंसेट में एक अध्ययन के सामने आया है कि कोविड -19 रोगियों पर दवा का उपयोग करने से उनके मरने की संभावना बढ़ सकती है. इस स्टडी के सामने आने के बाद शनिवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन के सॉलिडेरिटी ट्रायल (डब्ल्यूएचओ की निगरानी में हो रहे कोविड-19 क्लिनिकल ट्रायल) के एक्सिक्यूटिव ग्रूप की एक बैठक हुई. 10 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों वाले इस ग्रूप ने बैठक के बाद इस दवा से जुड़े क्लिनिकल ट्रायल को अस्थायी तौर पर स्थगित करने का फैसला किया है. साथ ही दुनिया भर में इस दवा को लेकर जो प्रयोग किए गए हैं, उनके नतीजों का व्यापक विश्लेषण करने का भी फैसला किया गया है.