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रूस से वापस लौट तो गए शी जिनपिंग, मगर यूक्रेन विवाद सुलझाने में रहे नाकाम

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि दोनों नेताओं ने यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए कीव की ओर से प्रस्तावित शांति योजना पर चर्चा तक नहीं की. उन्होंने कहा कि कीव का प्रस्ताव चीन-यूक्रेन संबंधों का मामला है.

मास्को : चीन के नेता शी जिनपिंग बुधवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करके वापस लौट गए. इस दौरान उन्होंने पुतिन के साथ दोनों देशों के बीच संबंधों को गहरा बनाने का वादा भी किया, लेकिन यूक्रेन विवाद को सुलझाने में उन्हें कामयाबी नहीं मिली. कुल मिलाकर यह कि रूस की यात्रा के दौरान जिनपिंग ने वादे अधिक और कामयाबी कम हासिल किए.

शांति योजना पर चर्चा तक नहीं की

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि दोनों नेताओं ने यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए कीव की ओर से प्रस्तावित शांति योजना पर चर्चा तक नहीं की. उन्होंने कहा कि कीव का प्रस्ताव चीन-यूक्रेन संबंधों का मामला है. सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, दोनों नेताओं ने जोर दिया कि यूक्रेन संकट को हल करने के लिए शांति वार्ता का उपयोग किया जाना चाहिए, लेकिन कीव और पश्चिम का कहना है कि किसी भी शांति समझौते में रूसी सैनिकों की वापसी शामिल होनी चाहिए.

जी-20 की बैठक में जेलेंस्की ने पेश की थी शांति योजना

पिछले साल नवंबर महीने में जी-20 की बैठक में यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की की ओर से पहली बार 10 सूत्रीय शांति योजना का वीडियो प्रस्तुत किया गया था. इन कदमों में परमाणु सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, कथित रूसी युद्ध अपराधों के लिए एक विशेष न्यायाधिकरण और रूस-यूक्रेन के बीच अंतिम शांति संधि शामिल है.

चीन ने जारी किया था 12 सूत्रीय बयान

फरवरी में चीन ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर व्यापक सिद्धांतों का एक 12 सूत्रीय बयान जारी किया था, जिसमें सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान करने, शीत युद्ध की मानसिकता को छोड़ने, शत्रुता को समाप्त करने, शांति वार्ता को फिर से बहाल करने, मानवीय संकट को हल करने, नागरिकों और युद्ध बंदियों की रक्षा करने का आह्वान किया गया. इसके अलावा, इसमें परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को सुरक्षति रखना, सामरिक जोखिमों को कम करना, अनाज निर्यात को सुगम बनाना, एकतरफा प्रतिबंधों को रोकना, औद्योगिक और सप्लाई चेन को स्थिर रखना और संघर्ष के बाद पुनर्निर्माण को बढ़ावा देना शामिल है.

पश्चिमी देशों को चीन के शांतिदूत बनने पर संदेह

उधर, पश्चिमी देशों के नेताओं ने शांतिदूत के रूप में चीन की संभावित भूमिका और उसकी तटस्थता के दावे के बारे में संदेह व्यक्त किया है. वहीं, अमेरिका और उसके सहयोगियों ने पिछले महीने ही चेतावनी दी है कि चीन अपने युद्ध प्रयास के लिए रूस को घातक सहायता भेजने पर विचार कर रहा है, जिसे बीजिंग ने अस्वीकार कर दिया है.

मास्को में तीन दिन रहे शी जिनपिंग

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस सप्ताह मास्को में तीन दिन बिताए. क्रेमलिन की सूची के अनुसार, उनकी यह यात्रा बीजिंग और मास्को के साथ व्यापार और तकनीक से लेकर राज्य प्रचार तक के क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने वाले एक दर्ज से अधिक समझौतों के समापन के साथ समाप्त हुई. नेताओं का केंद्रीय बयान इस बात पर केंद्रित था कि दोनों देश अपने संबंधों को गहरा कैसे करेंगे.

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युद्ध के लिए संकल्प लाने में रहे विफल

सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, शी जिनपिंग की इस मास्को यात्रा के दौरान रूस और चीन युद्ध के लिए संकल्प लाने में पूरी तरह विफल रहे. इस बीच, पेसकोव ने कहा कि वह इस सप्ताह पुतिन और शी जिनपिंग के बीच यात्रा के लिए पश्चिमी देशों की शुत्रुतापूर्ण प्रतिक्रिया से अचंभित नहीं है. पेसकोव ने कहा कि सामूहिक पश्चिम के देशों की प्रतिक्रिया के संबंध में तथ्य यह है कि करीब सभी मुद्दों पर यह प्रतिक्रिया एक गैर-दोस्ताना और शत्रुतापूर्ण प्रकृति की है, यह किसी के लिए कोई रहस्य नहीं है. उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से सबसे महत्वपूर्ण बात पश्चिम की प्रतिक्रिया है, लेकिन यह हुई वार्ता के परिणाम हैं. मुख्य बात यह है कि यह सरकारी यात्रा के ही परिणाम हैं.

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